सामान्य परिचय
किसानो के लिए सबसे लोकप्रिय फसल खीरा है। क्योंकि यह कम समय में उत्पादन किया जा सकता है। इसमें किसानों के लिए यह मुनाफा का सौदा साबित होता है इसका उपयोग लोग कच्चा फल, सलाद व सब्जियों के रूप में करते हैं। किसानों के लिए खीरे की खेती सबसे अच्छी सरल व कम समय में ज्यादा मुनाफा देने वाली सब्जी साबित होती है।
खीरे का वैज्ञानिक नाम cucumis sativus है। यह सर्वप्रथम भारत में पाया गया था।
मिट्टी
खीरे के फसल के लिए इस पर मिट्टी का विशेष महत्व होता है जिम जल का निकास उचित प्रबंध हो गया जा सकता है भूमि का PH 6-7 होना चाहिए ।सबसे ज्यादा प्रयुक्त दोमत मिट्टी है इसे लाल बलुई मिट्टी तथा काली मिट्टी में भी फसल लिया जा सकता है।
Note: सर्वप्रथम मिट्टी का परीक्षण कर लें जिससे मिट्टी में होने वाली कमी को दूर किया जा सके और फसल अच्छी मात्रा में हमें मिल सके।
बुआई का समय
खीरे की फसल का सही समय जनवरी – फरवरी होता है क्योंकि गर्मियों में इसका सेवन ज्यादा मात्रा में किया जाता है। इसे लोग मार्च – अप्रैल में भी लगाते हैं जो की आगे चलकर यह मई – जून तक चलता है।
ड्रिप इरीगेशन वाले इसे किसी भी मौसम पर खेती के रूप में लेते हैं ।खासकर जून जुलाई के मौसम में क्योंकि बरसात और ठंडी में इसकी कीमत बहुत ज्यादा होती है।
सिंचाई
सिंचाई के लिए आप सीधा कुआं तालाब नहर और बोरवेल का सहारा ले सकते हैं। इसे फसल लगने के तुरंत बाद पानी की आवश्यकता होती है। और इसके बाद 5-6 दिन के अंतराल में पानी देते रहना चाहिए।
अगर यदि आपके पास इरीगेशन सिस्टम है तो यह और भी अच्छा है क्योंकि ड्रिप इरीगेशन सिस्टम में पानी एक सीमित मात्रा में पौधों को मिलता है जिससे इसका उत्पादन के गुना बढ़ जाता है।
फसल की तुड़ाई
फसल तैयार 30-40 दिनों में हो जाता है इसके बाद इसका तोड़ाई का कार्य किया जाता है ,क्योंकि यह फसल 30-40 दिनों में तैयार हो जाता है।
कितना उत्पादन होता है
अगर यदि आपने अच्छे किस्म के पौधे व अच्छी तरह से देखभाल की है तो यह फसल एक एकड़ में लगभग 200 से 250 क्विंटल तक उत्पादन होता है जिसमें कम समय में उत्पादन होने वाली वह मुनाफे का सौदा साबित होता है।